Savitribai Phule Yojana calculator Apply Online and Status Check 2024: सावित्रीबाई फुले योजना latest list
सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना औपचारिक रूप से 3 जनवरी 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा शुरू की गई थी। इस योजना का लक्ष्य पूरे झारखंड में 9 लाख किशोरियों के लिए शिक्षा को और अधिक सुलभ बनाना है। इसने पहले की मुख्यमंत्री सुकन्या योजना का स्थान लिया, जिसे 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री श्री रघुबर दास द्वारा शुरू किया गया था। Savitribai Phule Yojana
Here is the Guidelines of Savitribai Phule Scheme
सावित्रीबाई फुले योजना के लिए महत्वपूर्ण बिंदु:
- महिला सशक्तिकरण: यह योजना महिलाओं को सशक्त बनाने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
- बालिका शिक्षा: यह लड़कियों के लिए शिक्षा के महत्व पर जोर देता है।
- बाल विवाह को समाप्त करना: इस योजना का उद्देश्य बाल विवाह प्रथाओं को समाप्त करना है।
- उच्च शिक्षा का समर्थन: यह उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली लड़कियों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- स्वास्थ्य और व्यक्तिगत स्वच्छता: यह योजना किशोर लड़कियों के स्वास्थ्य और व्यक्तिगत स्वच्छता आवश्यकताओं का समर्थन करती है।
- निर्णय लेने में सक्षम बनाना: इसका उद्देश्य लड़कियों को अपने जीवन के बारे में सूचित निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाना है।
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Overview of Savitribai Phule Yojana calculator :सावित्रीबाई फुले योजना का अवलोकन
Name of the scheme | Savitribai Phule Kishori Samriddhi Yojana ( Scheme of india). |
Start date | 2019. |
Benefit | Total financial assistance of Rs 40 thousand in 6 installments to the beneficiaries from class 8th to class 12th. |
Nodal department | Women, Child Development and Social Security Department, Government of Jharkhand. |
Application system | By offline application form . ( सावित्रीबाई फुले form ) |
Eligibility Criteria
सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना 2024 के पात्र लाभार्थी झारखंड में लड़कियां और युवा महिलाएं हैं। वे विशिष्ट मानदंडों के आधार पर योजना का लाभ उठा सकते हैं। यहां प्रमुख पात्रता शर्तें हैं:
- झारखंड राज्य का स्थायी निवासी होना चाहिए।
- परिवार की केवल पहली दो बेटियां ही इसका लाभ उठा सकती हैं।
- माता-पिता आयकर दाता नहीं होने चाहिए।
- लड़की के पास बैंक/डाकघर खाता होना चाहिए।
- माता-पिता को किसी भी सरकारी क्षेत्र में स्थायी रूप से कार्यरत या सेवानिवृत्त नहीं होना चाहिए।
- पेंशन/पारिवारिक पेंशन नहीं मिल रही है।
Important Links:
Required Documents and : आवश्यक दस्तावेज
सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना 2024 के लिए आवेदन करने के लिए आवेदकों को विशिष्ट दस्तावेज जमा करने होंगे। यहां आवश्यक दस्तावेज़ हैं:
- बालिका का जन्म प्रमाण पत्र।
- आधार कार्ड: आवेदक के आधार कार्ड की एक प्रति।
- निवास प्रमाण पत्र: निवास का प्रमाण।
- आय प्रमाण पत्र: परिवार की आय की पुष्टि करने वाला दस्तावेज़।
- राशन कार्ड: राशन कार्ड की एक फोटोकॉपी।
- पासपोर्ट आकार का फोटो: लड़की का हालिया पासपोर्ट आकार का फोटो।
- बैंक खाता विवरण: लड़की के बैंक खाते का विवरण।
- स्कूल में उपस्थिति का प्रमाण: स्कूल में लड़की के नामांकन का प्रमाण।
Benefits: सावित्रीबाई फुले योजना(Savitribai Phule Yojana) 2024 के लाभ
- शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता: कक्षा 8 से 12 में नामांकित लड़कियों को विभिन्न चरणों में वित्तीय सहायता प्राप्त होती है:
Class | aid money |
---|---|
in class 8th | Rs 2,500/-. |
in class 9th | Rs 2,500/-. |
in class 10th | Rs 5,000/-. |
in class 11th | Rs 5,000/-. |
in class 12th | Rs 5,000/-. |
After completing 18 years of age | Rs 20,000/-. |
- सशक्तिकरण और निर्णय लेना: इस योजना का उद्देश्य लैंगिक समानता को बढ़ावा देकर और सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाकर लड़कियों को सशक्त बनाना है।
- स्वास्थ्य एवं स्वच्छता सहायता: यह किशोरियों के स्वास्थ्य और व्यक्तिगत स्वच्छता आवश्यकताओं के लिए सहायता प्रदान करता है।
- बाल विवाह समाप्त करना: शिक्षा और सशक्तिकरण पर जोर देकर, यह योजना बाल विवाह प्रथाओं को कम करने में योगदान देती है।
- उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना: लड़कियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने और उनके व्यक्तिगत विकास में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करता है।
Application Process for Savitribai Phule Yojana 2024 :
सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना 2024 के लिए आवेदन प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल हैं:
- आवेदन पत्र प्राप्त करें: लड़कियां आवेदन पत्र अपने नजदीकी आंगनबाडी केन्द्रों से प्राप्त कर सकती हैं। वैकल्पिक रूप से, वे स्कूल, ब्लॉक, बाल विकास परियोजना अधिकारी, या जिला समाज कल्याण अधिकारी के कार्यालयों का दौरा कर सकते हैं।
- ऑफ़लाइन आवेदन: आवेदन प्रक्रिया ऑफलाइन आयोजित की जाती है। लड़कियों को आवश्यक विवरण के साथ आवेदन पत्र भरना चाहिए। आवश्यक दस्तावेज़ (जैसे राशन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर आईडी और बैंक पासबुक) को स्व-सत्यापित फोटोकॉपी के रूप में संलग्न करें।
- आवेदन जमा करो: भरे हुए आवेदन पत्र को सहायक दस्तावेजों के साथ अपने क्षेत्र के बाल विकास परियोजना कार्यालय में जमा करें।
सावित्रीबाई फुले का इतिहास PDF Form and Link
परिचय:
सावित्रीबाई फुले, जिन्हें “भारतीय महिला शिक्षा की जननी” के रूप में जाना जाता है, एक भारतीय सामाजिक सुधारक, शिक्षिका और कवयित्री थीं। उन्होंने 19वीं शताब्दी में भारत में महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा के लिए अथक संघर्ष किया।
जीवन:
- जन्म: 3 जनवरी 1831, नायगांव, महाराष्ट्र
- मृत्यु: 25 मार्च 1897, पुणे, महाराष्ट्र
- पति: ज्योतिराव गोविंदराव फुले (सामाजिक कार्यकर्ता)
- शिक्षा: प्राथमिक शिक्षा
उपलब्धियां:
- भारत की पहली महिला शिक्षिका: 1847 में, सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर भारत की पहली महिला विद्यालय “बालिका विद्यालय” की स्थापना की।
- समाज सुधार: उन्होंने बाल विवाह, सती, छुआछूत और जातिवाद जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई।
- महिला अधिकार: उन्होंने महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा और स्वतंत्रता के लिए वकालत की।
- साहित्य: उन्होंने मराठी में कविताएँ और गद्य लिखा, जिसमें सामाजिक मुद्दों और महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डाला गया था।
- संस्थाएं: उन्होंने अनाथ आश्रम, विधवा आश्रम और बाल हत्या प्रतिबंधक गृह जैसी संस्थाओं की स्थापना की।
महत्व:
- सावित्रीबाई फुले भारत में महिला शिक्षा और सामाजिक सुधार आंदोलन की अग्रणी थीं।
- उन्होंने महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने और उन्हें समाज में समान अधिकार दिलाने के लिए अथक प्रयास किए।
- वे आज भी भारत में महिलाओं और सामाजिक न्याय के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
FAQS
सावित्रीबाई फुले योजना ने भारत में क्या योगदान दिया?
सावित्रीबाई फुले, जिन्हें भारत की पहली महिला शिक्षिका और आधुनिक नारीवाद की जननी के रूप में जाना जाता है, ने भारत के लिए अनेक महत्वपूर्ण योगदान दिए।
शिक्षा:
महिला शिक्षा: 1848 में, उन्होंने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर भारत का पहला महिला विद्यालय खोला। उस समय जब लड़कियों को शिक्षा देना एक अपराध माना जाता था, उन्होंने सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ते हुए महिलाओं के शिक्षाधिकार के लिए आवाज उठाई।
दलित शिक्षा: उन्होंने दलित और अछूत बच्चों के लिए भी शिक्षा का द्वार खोला, उन्हें स्कूलों में प्रवेश दिलाया और शिक्षा प्रदान की।
शिक्षा में सुधार: उन्होंने शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए भी काम किया, पाठ्यक्रम में बदलाव किए और शिक्षण विधियों को आधुनिक बनाया।
सामाजिक सुधार:
सती प्रथा: उन्होंने सती प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई और इसे रोकने के लिए अभियान चलाया।
विधवा पुनर्विवाह: उन्होंने विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया और विधवाओं को समाज में सम्मान दिलाने के लिए प्रयास किए।
अस्पृश्यता: उन्होंने अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई लड़ी और छुआछूत मिटाने के लिए काम किया।
बाल विवाह: उन्होंने बाल विवाह की कुप्रथा को मिटाने के लिए भी कार्य किया।
महिला अधिकार:
महिलाओं के अधिकारों: उन्होंने महिलाओं के समान अधिकारों, शिक्षा, संपत्ति और राजनीतिक भागीदारी के लिए आवाज उठाई।
महिला सशक्तिकरण: उन्होंने महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित किया।
महिलाओं के लिए संगठन: उन्होंने महिलाओं के लिए कई संगठन स्थापित किए जो शिक्षा, सामाजिक सुधार और महिला अधिकारों से संबंधित कार्यों में सक्रिय थे।
साहित्य:
कवियत्री: सावित्रीबाई फुले एक कुशल कवियत्री भी थीं। उन्होंने मराठी में कई कविताएँ और गीत लिखे जो सामाजिक मुद्दों और महिलाओं की पीड़ा को व्यक्त करते हैं।
लेखिका: उन्होंने कई लेख और निबंध भी लिखे जिनमें उन्होंने सामाजिक कुरीतियों, महिलाओं की स्थिति और शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला।
सावित्रीबाई फुले का योगदान केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। वे दुनिया भर की महिलाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनके साहसिक कार्यों और समाज के प्रति समर्पण ने उन्हें भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।
उनके योगदान के कुछ महत्वपूर्ण परिणाम:
भारत में महिला शिक्षा दर में वृद्धि।
दलितों और अछूतों के जीवन स्तर में सुधार।
सामाजिक कुरीतियों जैसे सती प्रथा और बाल विवाह में कमी।
महिलाओं के अधिकारों और सशक्तिकरण के प्रति जागरूकता में वृद्धि।
निष्कर्ष:
सावित्रीबाई फुले एक महान समाज सुधारक, शिक्षिका, कवियत्री और लेखिका थीं। उन्होंने भारत में महिलाओं और समाज के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके योगदान ने भारत के इतिहास को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और वे आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
भारत में 3 जनवरी का क्या महत्व है?
भारत में 3 जनवरी का महत्व:
ऐतिहासिक घटनाएं:
1831: भारत की पहली महिला शिक्षिका, सावित्रीबाई फुले का जन्म।
1894: रवींद्रनाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन में ‘पौष मेला’ का उद्घाटन किया।
1901: शांतिनिकेतन में ब्रह्मचर्य आश्रम की स्थापना।
1968: भारत का पहला मौसम विज्ञान राकेट ‘मेनका’ का प्रक्षेपण।
2006: गूगल ने YouTube के अधिग्रहण की घोषणा की।
प्रसिद्ध व्यक्तियों का जन्म:
1831: सावित्रीबाई फुले, भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता और महिला शिक्षा की अग्रणी।
1898: जयप्रकाश नारायण, भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिक नेता।
1929: नरसिंह राव, भारत के 9वें प्रधानमंत्री।
2003: ग्रेटा थनबर्ग, स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता।
अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं:
1943: टेलीविजन पर पहली बार गुमशुदा लोगों के बारे में सूचना का प्रसारण।
1959: अलास्का को अमेरिका का 49वां राज्य घोषित किया गया।
1993: अमेरिका और रूस ने ‘स्टार्ट द्वितीय’ परमाणु हथियार नियंत्रण संधि पर हस्ताक्षर किए।
धार्मिक महत्व:
शाकम्बरी जयंती: हिंदू देवी दुर्गा का एक रूप, माना जाता है कि इनका जन्म 3 जनवरी को हुआ था।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि 3 जनवरी को भारत में कोई राष्ट्रीय अवकाश या धार्मिक त्योहार नहीं मनाया जाता है।
यह दिन विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं, प्रसिद्ध व्यक्तियों के जन्म और कुछ धार्मिक मान्यताओं के लिए महत्वपूर्ण है।
Dhruv Sharma is a dedicated content creator and the author behind Yojana World. With a passion for empowering individuals through information, Dhruv specializes in writing about government schemes and services in India.