Arunachal Pradesh Chief Minister Shasakt Kisan Yojana | अरुणाचल प्रदेश मुख्यमंत्री शसक्त किसान योजना
- अरुणाचल प्रदेश सरकार द्वारा 2018 में शुरू की गई ‘मुख्यमंत्री शक्तिशाली किसान योजना’ का उद्देश्य राज्य में बागवानी की गतिविधियों को बढ़ावा देना है।
- इस योजना के तहत अरुणाचल प्रदेश के किसानों को टी, रबर और डबल क्रॉपिंग के लिए राज्य सरकार द्वारा विभिन्न इनपुट प्रदान किए जाते हैं।
- योजना में शामिल विभिन्न इनपुट में शामिल हैं: बीजलिंग और प्लांटिंग सामग्री, बाड़बार तार, घुंडे, जीआई कोने पोस्ट, आदि।
- टी, रबर और डबल क्रॉपिंग के लिए खुरपी, फव्वारा, डाओ और स्प्रेयर मशीन जैसे उपकरण और साधन प्रदान किए जाते हैं।
- खाद, उर्वरक, पौधा संरक्षण रसायनों की आपूर्ति भी योजना के तहत की जाती है।
- टी और रबर की बागाई के लिए राज्य सरकार द्वारा नकद सहायता प्रदान की जाती है। टी के लिए प्रति हेक्टेयर 1 लाख रुपये और रबर के लिए प्रति हेक्टेयर 80 हजार रुपये।
- यह योजना केवल अरुणाचल प्रदेश के किसानों के लिए है।
- ‘मुख्यमंत्री शक्तिशाली किसान योजना’ के लिए आवेदन करने के लिए आवेदकों को अपने संबंधित क्षेत्रीय कृषि विकास अधिकारियों से संपर्क करना होगा।
Eligibility Arunachal Pradesh Chief Minister Shasakt Kisan Yojana | पात्रता
- आवेदक को अरुणाचल प्रदेश का निवासी होना चाहिए।
- आवेदक को कृषि क्षेत्र से संबंधित होना चाहिए।
- आवेदक को भूमि के मालिक होना चाहिए।
इन मापदंडों के आधार पर ‘मुख्यमंत्री शक्तिशाली किसान योजना’ के लिए आवेदन किया जा सकता है।
Benefits | फ़ायदे
- इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा चाय और रबर की बागाई के लिए नकद सहायता प्रदान की जाएगी।
- चाय की बागाई के लिए प्रति हेक्टेयर 1 लाख रुपये।
- रबर की बागाई के लिए प्रति हेक्टेयर 80 हजार रुपये।
- बीजलिंग और प्लांटिंग सामग्री की प्रावधान।
- बाड़बार माल – बार्बेड वायर, किल्ले, जीआई कोना पोस्ट आदि।
- चाय, रबर और डबल क्रॉपिंग के लिए खुरपी, फव्वारा, डाओ और स्प्रेयर मशीन जैसे उपकरण और साधन।
- भूमि विकास के लिए खाद, उर्वरक, पौधा संरक्षण रसायनों की खेती सहायता।
इन विवरणों के आधार पर योजना के अंतर्गत प्रावधानों की समझ में आ सकती है।
Documents Required | आवश्यक दस्तावेज़
- आधार कार्ड
- अगर लागू हो, तो ए.पी.एस.टी. प्रमाणपत्र
- राशन कार्ड
- भूमि आवंटन दस्तावेज़
- पासपोर्ट आकार की फोटोग्राफ
- चाय/रबर बागाई के प्रस्तावित भूमि का स्केच मैप
- बैंक खाता विवरण
इन दस्तावेज़ों की आवश्यकता ‘मुख्यमंत्री शक्तिशाली किसान योजना’ के लिए होगी।
How to Apply | आवेदन कैसे करें
- ‘मुख्यमंत्री शक्तिशाली किसान योजना’ के लिए आवेदन करने हेतु आवेदकों को अपने संबंधित एडीएस/एडीओस से संपर्क करना होगा।
- प्राधिकृत अधिकारी के मार्गदर्शन में आवेदन पत्र भरें।
- फॉर्म भरने के बाद आवश्यक दस्तावेज़ जोड़ें और निर्धारित प्राधिकृति को जमा करें।
- जमा किए गए आवेदन को संबंधित प्राधिकरण द्वारा सत्यापित किया जाएगा।
- सत्यापन के बाद, चयन समिति द्वारा अंतिम चयन किया जाएगा।
- सभी प्रक्रियाओं के पूर्ण होने के बाद, चयनित लाभार्थियों को योजना के लाभ प्राप्त करने की सुविधा होगी।
इन बिंदुओं के अनुसार ‘मुख्यमंत्री शक्तिशाली किसान योजना’ के लिए आवेदन प्रक्रिया का विवरण दिया जा सकता है।
Contact Details | सम्पर्क करने का विवरण
- मुख्यमंत्री शक्तिशाली किसान योजना का नोडल विभाग हेल्पलाइन नंबर: 91-360-2244252
- इस नंबर पर योजना से संबंधित किसी भी प्रकार की सहायता या जानकारी के लिए संपर्क करें।
उपरोक्त बिंदुओं में दिए गए नंबर पर ‘मुख्यमंत्री शक्तिशाली किसान योजना’ से संबंधित हेल्पलाइन नंबर का विवरण दिया गया है।
अरुणाचल प्रदेश की नई कृषि योजनाएं कौन सी हैं?
अरुणाचल प्रदेश सरकार ने हाल ही में कृषि और बागवानी को प्रोत्साहन देने के लिए कई नई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें ‘आत्मनिर्भर कृषि योजना’ (Atmanirbhar Krishi Yojana) और ‘आत्मनिर्भर बागवानी योजना’ (Atmanirbhar Bagwani Yojana) शामिल हैं। इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य राज्य के किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना और उनकी उपज को बढ़ावा देना है। ये योजनाएँ 45% सरकारी सब्सिडी, 45% बैंक लोन और 10% लाभार्थियों के योगदान पर आधारित हैं, जिससे किसानों को कृषि गतिविधियों में आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलता है।
इसके अलावा, ‘आत्मनिर्भर मत्स्य पालन योजना’ और ‘आत्मनिर्भर पशुपालन योजना’ भी शुरू की गई हैं, जो मछली पालन और पशुपालन क्षेत्र में सुधार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए हैं। सरकार ने इन योजनाओं के तहत किसानों और उद्यमियों को तकनीकी सहायता और बाज़ार में उनके उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एक ई-कॉमर्स प्लेटफार्म भी लॉन्च किया है, जिसे ‘अरुणाचल एग्रो मार्ट’ के नाम से जाना जाता है(
ये योजनाएं न केवल कृषि उत्पादन को बढ़ाने में मदद करेंगी बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेंगी।
अरुणाचल प्रदेश का पुराना नाम क्या था?
अरुणाचल प्रदेश का पुराना नाम “उत्तर-पूर्वी सीमांत एजेंसी” (North-East Frontier Agency या NEFA) था। 1972 में इसका नाम बदलकर अरुणाचल प्रदेश कर दिया गया, और 1987 में यह भारत का एक पूर्ण राज्य बना।
अरुणाचल प्रदेश का मुख्य व्यवसाय क्या है?
अरुणाचल प्रदेश का मुख्य व्यवसाय कृषि है। राज्य की अधिकांश आबादी खेती पर निर्भर है। यहाँ मुख्य रूप से झूम खेती (शिफ्टिंग कल्टीवेशन) की जाती है। धान, मक्का, बाजरा, गेहूँ, दालें और तिलहन यहाँ की प्रमुख फसलें हैं। इसके अलावा, बागवानी भी महत्वपूर्ण व्यवसायों में से एक है, जिसमें संतरा, सेब, अनानास, और अदरक जैसे फल और मसाले उगाए जाते हैं।
राज्य के अन्य प्रमुख व्यवसायों में हस्तशिल्प, बुनाई, और पारंपरिक कारीगरी भी शामिल हैं। साथ ही, जंगल आधारित उद्योग, जैसे कि लकड़ी और बांस से संबंधित उद्योग भी यहाँ के लोगों की आजीविका का स्रोत हैं। अरुणाचल प्रदेश में पर्यटन भी एक उभरता हुआ व्यवसाय है, विशेष रूप से इसकी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के कारण।
अरुणाचल प्रदेश में कौन सी खेती की जाती है?
अरुणाचल प्रदेश में विभिन्न प्रकार की खेती की जाती है, जो राज्य की जलवायु, मिट्टी और भौगोलिक स्थिति के आधार पर विविध होती है। यहां प्रमुख रूप से की जाने वाली खेती इस प्रकार है:
झूम खेती: यह अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में आदिवासी समुदायों द्वारा की जाने वाली पारंपरिक खेती है। इसमें एक स्थान पर खेती करने के बाद उसे कुछ वर्षों के लिए छोड़ दिया जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता फिर से बहाल हो सके।
धान की खेती: धान अरुणाचल प्रदेश की प्रमुख फसल है। यहाँ की निचली घाटियों और नदी तटों पर धान की खेती की जाती है, जहां पर्याप्त वर्षा होती है।
मक्का: मक्का भी यहाँ की एक प्रमुख खाद्य फसल है, जिसका उपयोग खाने के साथ-साथ चारा बनाने के लिए भी किया जाता है।
बागवानी फसलें: अरुणाचल प्रदेश में संतरा, सेब, कीवी, अनार, पपीता जैसी बागवानी फसलें भी उगाई जाती हैं। इन फलों की खेती विशेष रूप से पहाड़ी और ठंडे इलाकों में की जाती है।
मसाले: यहाँ अदरक, हल्दी, इलायची और मिर्च जैसी मसालों की खेती भी होती है, जो राज्य के कृषि व्यवसाय में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
सब्जियाँ: आलू, टमाटर, गोभी, और अन्य मौसमी सब्जियाँ यहाँ उगाई जाती हैं।
चाय की खेती: अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में चाय की खेती भी की जाती है, विशेषकर इसके पूर्वी हिस्सों में।
ये विविध फसलें राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाती हैं और यहाँ के लोगों के जीवन का अहम हिस्सा हैं।
Dhruv Sharma is a dedicated content creator and the author behind Yojana World. With a passion for empowering individuals through information, Dhruv specializes in writing about government schemes and services in India.